एंजल टैक्स क्या है ? इसके समाप्ति से निवेशकों को कैसे लाभ होगा ? | Angel Tax Abolished | Budget 2024-25
Angel Tax Abolished
भारत में व्यापारिक उद्यमिता और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियाँ और टैक्स नियम लागू किए गए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण टैक्स है जिसे ‘एंजल टैक्स‘ कहा जाता है। हाल ही में, इस टैक्स को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, जिससे निवेशकों को काफी लाभ हो रहा है। आइए इस लेख में सरल हिंदी में समझते हैं कि एंजल टैक्स क्या है, इसके लागू होने का कारण क्या था, और इसके समाप्ति से निवेशकों को कैसे लाभ होगा ?
एंजल टैक्स क्या है ?
एंजल टैक्स वह कर है जो सरकार उन निवेशकों पर लगाती थी जो किसी स्टार्टअप में निवेश करते थे। यह टैक्स तब लगाया जाता था जब कोई स्टार्टअप अपने शेयर्स का मूल्यांकन उनके वास्तविक बाजार मूल्य से अधिक पर करता था और उन शेयर्स को किसी निवेशक को बेचता था। इस स्थिति में, सरकार इस अतिरिक्त मूल्यांकन को ‘इनकम‘ मानती थी और उस पर टैक्स लगाती थी। यह टैक्स ‘इनकम टैक्स एक्ट, 1961‘ के सेक्शन 56(2)(viib) के तहत आता था।
एंजल टैक्स के लागू होने का कारण
एंजल टैक्स को लागू करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि सरकार टैक्स चोरी और काले धन को रोक सके। कई बार यह देखा गया कि कुछ लोग अपने काले धन को सफेद करने के लिए इसे स्टार्टअप्स में निवेश करते थे। सरकार ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए एंजल टैक्स को लागू किया था।
एंजल टैक्स की समस्याएँ
हालांकि एंजल टैक्स को अच्छे उद्देश्यों के लिए लागू किया गया था, लेकिन यह स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए कई समस्याएं पैदा कर रहा था:
- निवेश में रुकावट: एंजल टैक्स के कारण निवेशक स्टार्टअप्स में निवेश करने से कतराते थे क्योंकि उन्हें टैक्स का अतिरिक्त बोझ सहना पड़ता था।
- स्टार्टअप्स का मूल्यांकन: स्टार्टअप्स का मूल्यांकन एक जटिल प्रक्रिया है और इसे निर्धारित करना आसान नहीं होता। एंजल टैक्स के कारण स्टार्टअप्स को उनके मूल्यांकन के लिए टैक्स अधिकारियों के साथ बार-बार समन्वय करना पड़ता था।
- नवाचार पर असर: एंजल टैक्स के कारण कई स्टार्टअप्स नवाचार और विकास की गति को बनाए नहीं रख पा रहे थे क्योंकि उनके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं होते थे।
एंजल टैक्स की समाप्ति
सरकार ने एंजल टैक्स की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
निवेशकों के लिए लाभ
- निवेश के अवसर बढ़ेंगे: एंजल टैक्स की समाप्ति से निवेशक अब अधिक आत्मविश्वास के साथ स्टार्टअप्स में निवेश कर सकते हैं। इससे नए और उभरते हुए उद्यमियों को अधिक वित्तीय सहयोग मिलेगा।
- टैक्स का बोझ कम होगा: निवेशकों को अब अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं सहना पड़ेगा। इससे उनके लिए निवेश करना अधिक लाभप्रद होगा।
- वित्तीय सुरक्षा: एंजल टैक्स के समाप्त होने से निवेशकों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी और वे अधिक जोखिमी निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
स्टार्टअप्स के लिए लाभ
- नवाचार और विकास: स्टार्टअप्स अब अपने नवाचार और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे क्योंकि उन्हें टैक्स संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- वित्तीय स्वतंत्रता: एंजल टैक्स के समाप्त होने से स्टार्टअप्स को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी। वे अब अपनी जरूरतों के अनुसार वित्तीय संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे।
- प्रतिस्पर्धात्मकता: एंजल टैक्स के समाप्त होने से भारतीय स्टार्टअप्स की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। वे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित कर सकेंगे और अपने व्यापार का विस्तार कर सकेंगे।
समापन
एंजल टैक्स की समाप्ति भारतीय स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल निवेशकों को वित्तीय राहत मिलेगी, बल्कि स्टार्टअप्स को भी अपने नवाचार और विकास में तेजी लाने का अवसर मिलेगा। इस निर्णय से भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएंगे और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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