PhonePe के CEO ने Karnataka Job Quota Reservation for locals Bill की आलोचना की तो कन्नड़ वासी उन्हें खरी खोटी सुनाने लगे | phonepe karnataka | 21/07/2024
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कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित निजी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षण विधेयक ने उद्योग जगत में एक विवाद पैदा कर दिया है। इस विधेयक के तहत प्रबंधन स्तर की 50% नौकरियों और गैर-प्रबंधन स्तर की 70% नौकरियों को स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। इस प्रस्ताव के खिलाफ प्रमुख उद्योगपतियों ने आवाज उठाई है, जिनमें से एक हैं PhonePe के CEO और सह-संस्थापक, समीर निगम।
समीर निगम की प्रतिक्रिया
समीर निगम ने इस विधेयक को ‘शर्मनाक’ बताते हुए अपनी नाराजगी सोशल मीडिया पर व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनका जीवन विभिन्न राज्यों में बीता है क्योंकि उनके पिता भारतीय नौसेना में थे और उन्हें विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या उनके बच्चे, जो कर्नाटक में पले-बढ़े हैं, अपने गृह नगर में नौकरी पाने के योग्य नहीं हैं। निगम ने कहा, “मैंने पूरे भारत में 25,000 से अधिक नौकरियों का सृजन किया है। क्या मेरे बच्चों को अपने ही घर के शहर में नौकरियों का हक नहीं है? शर्मनाक।”
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
निगम की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर काफी ध्यान आकर्षित किया और कई टिप्पणियां और लाइक्स प्राप्त किए। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “यह जल्द ही एक सच्चाई बन जाएगा और बेंगलुरु अब स्टार्टअप कैपिटल के रूप में नहीं जाना जाएगा। कंपनी चलाने के लिए पहले से ही कई चुनौतियां हैं और इस स्थानीय रोजगार को लागू करने से पूरी प्रणाली ढह जाएगी।”
एक अन्य उपयोगकर्ता ने जोड़ा, “कोई भी संगठन या उद्यमी सर्वश्रेष्ठ लोगों की तलाश करता है। अगर सरकार कन्नड़िगा आरक्षण की बात करती है, तो कैसे वे गारंटी दे सकते हैं कि कन्नड़िगा ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है?”
अनाम X उपयोगकर्ता ने कर्नाटक आरक्षण विधेयक के खिलाफ ट्विट किया
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित निजी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षण विधेयक को लेकर सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आई हैं। इनमें से एक प्रतिक्रिया एक अनाम X (पूर्व ट्विटर) उपयोगकर्ता की थी, जिसने अपनी आपत्तियों को तीव्र शब्दों में व्यक्त किया। यह उपयोगकर्ता चेन्नई से है और उसने अपनी पहचान गुप्त रखी है।
अनाम उपयोगकर्ता का ट्विट
इस उपयोगकर्ता ने लिखा, “मैं चेन्नई का रहने वाला हूँ और मुझे लगता है कि यह आरक्षण विधेयक अत्यंत अनुचित है। यह हमारे देश के संविधान के विरुद्ध है जो हर नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में काम करने का अधिकार देता है।”
उन्होंने आगे लिखा, “हमारी कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की आवश्यकता है, चाहे वे कहीं से भी हों। इस तरह के आरक्षण से हमारे स्टार्टअप्स और उद्योगों को नुकसान होगा और इससे निवेशकों का विश्वास भी कम होगा।”
विधेयक का विरोध
कर्नाटक सरकार का तर्क है कि यह विधेयक स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा करेगा और उनके लिए अधिक रोजगार के अवसर सृजित करेगा। लेकिन उद्योग निकायों का मानना है कि यह विधेयक राज्य की अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप्स और आईटी कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनियां (Nasscom) ने चेतावनी दी है कि इस विधेयक से स्टार्टअप्स और आईटी कंपनियों का राज्य से पलायन हो सकता है, जिससे निवेश और नौकरियों का नुकसान होगा।
निष्कर्ष
समीर निगम और अन्य उद्योग जगत के नेताओं की आपत्तियों के बाद, कर्नाटक सरकार ने इस विधेयक को फिलहाल होल्ड पर रख दिया है और कहा है कि विधेयक को लागू करने से पहले सभी हितधारकों के साथ परामर्श किया जाएगा।
इस विधेयक को लेकर बहस जारी है, लेकिन यह साफ है कि कर्नाटक सरकार और उद्योग जगत के बीच इस मुद्दे पर बड़ा मतभेद है। जहां एक ओर सरकार का उद्देश्य स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देना है, वहीं दूसरी ओर उद्योग जगत का मानना है कि यह कदम राज्य की प्रगति और विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।
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