What is ADAS technology and how it works ? Is it a driver or just a helper ? Explained in Hindi- 2024
ADAS technology
कभी सड़क पर गाड़ी चलाते वक्त ऐसा हुआ है कि अचानक सामने से कोई गाड़ी आ गई और आप चौंक गए? या फिर गाड़ी पार्क करते समय यह चिंता लगी रहती है कि कहीं टक्कर न हो जाए? अगर हां, तो आपके लिए खुशखबरी है! नई टेक्नॉलॉजी के दौर में गाड़ियां भी अब पहले से ज्यादा स्मार्ट हो गई हैं। आज हम बात कर रहे हैं ADAS की, यानी एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम की। यह वो टेक्नॉलॉजी है जो आपकी गाड़ी को एक समझदार साथी बना देती है और ड्राइविंग को सुरक्षित और आरामदायक बनाती है। चलिए आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं कि ADAS टेक्नॉलॉजी क्या है और यह कैसे काम करती है।
ADAS टेक्नोलॉजी क्या है और यह कैसे काम करती है ?
ADAS का मतलब एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (Advanced Driver Assistance System) होता है। यह कारों में सुरक्षा को बढ़ाने वाली कई तरह की टेक्नॉलॉजी का मिलाजुला रूप है। इसे सीधे तौर पर कोई एक टेक्नॉलॉजी नहीं, बल्कि कई सारे फीचर्स का समूह समझें जो मिलकर ड्राइवर की मदद करते हैं।
ADAS कैसे काम करता है ?
गाड़ी में लगे सेंसर और कैमरे आसपास के माहौल को स्कैन करते हैं। ये सेंसर राडार, लाइट (LiDAR), अल्ट्रा-सोनिक आदि तरह के हो सकते हैं।
सेंसर से मिली जानकारी की प्रोसेसिंग कार के कंप्यूटर में होती है।
इस प्रोसेसिंग के आधार पर अगर कोई खतरा का आभास होता है तो ADAS सिस्टम ड्राइवर को अलर्ट करता है। अलर्ट कई तरह से हो सकता है, जैसे कि आवाज़ की चेतावनी, स्टीयरिंग व्हील का हल्का हिलना या फिर डैशबोर्ड पर लाइट जलना।
कुछ ADAS सिस्टम गाड़ी को खुद भी नियंत्रित कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आप अपनी लेन से अनजाने में डिगने लगते हैं तो लेन कीप असिस्ट (Lane Keep Assist) सिस्टम गाड़ी को वापस लेन में ला सकता है।
ADAS के फायदे
- सड़क दुर्घटनाओं को कम करना
- ड्राइविंग को आसान और आरामदायक बनाना
- लंबी दूरी की यात्राओं में थकान कम करना
ADAS के कुछ फीचर्स
- लेन डिपार्चर वार्निंग (Lane Departure Warning)
- अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल (Adaptive Cruise Control)
- ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रैकिंग (Automatic Emergency Braking)
- ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन (Blind Spot Detection)
- पार्किंग असिस्ट सिस्टम (Parking Assist System)
Any malfunction reported in this technology in past ?
हाँ, ADAS टेक्नॉलॉजी अभी भी नई है और विकास के दौर में है, इस वजह से इसमें कभी-कभी खराबी आने की संभावना रहती है। कुछ रिपोर्टेड खराबियों के बारे में नीचे बताया गया है:
- गलत संकेत: कभी-कभी सेंसर गलत जानकारी जुटा लेते हैं, जिसकी वजह से ADAS सिस्टम ड्राइवर को गलत चेतावनी दे सकता है। उदाहरण के लिए, सड़क के किनारे कोई गड्ढा हो सकता है, जिसे सिस्टम गाड़ी से टक्कर के खतरे के रूप में पहचान ले।
- अचानक सिस्टम बंद होना: कुछ मामलों में पूरा ADAS सिस्टम ही काम करना बंद कर सकता है।
- अंशिक खराबी: ADAS के कुछ फीचर्स काम करना बंद कर दें और कुछ काम करते रहें, ऐसा भी हो सकता है।
Can i blindly rely on each and every feature of the ADAS system ?
नहीं, आप अभी के लिए ADAS सिस्टम के हर एक फीचर पर पूरी तरह से आँख बंद करके भरोसा नहीं कर सकते।
यहाँ कुछ कारण हैं:
- विकासशील टेक्नॉलॉजी: ADAS अभी भी विकास की अवस्था में है। इसका मतलब है कि तकनीक अभी पूरी तरह से परिपक्व नहीं है और कभी-कभी गलतियां हो सकती हैं। सेंसर गलत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सिस्टम को खतरे का गलत आभास हो सकता है या जरूरी चेतावनी देने में चूक हो सकती है।
- परिस्थितिजन्य सीमाएं: कुछ ADAS फीचर्स खास परिस्थितियों में ही कारगर होते हैं। उदाहरण के लिए, लेन कीप असिस्ट (Lane Keep Assist) स्पष्ट लेन मार्किंग वाली सड़कों पर बेहतर काम करता है। अगर सड़क पर लेन की मार्किंग फीकी या नदारद है तो सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाएगा।
- चालक की सतर्कता जरूरी: कोई भी ADAS फीचर आपको सड़क पर ध्यान देने से मुक्त नहीं करता। आपकी गाड़ी चलाने की जिम्मेदारी हमेशा आपकी ही होती है। सड़क पर हमेशा सतर्क रहें और आसपास के माहौल को खुद भी देखें।
ADAS एक बेहतरीन सुरक्षा फीचर है, जो ड्राइविंग को आसान बना सकता है। लेकिन, इसे हमेशा सहायक के रूप में ही देखें, ड्राइवर की जगह नहीं।
How much effective is the ADAS technology ?
ADAS टेक्नॉलॉजी गाड़ियों की सुरक्षा को बढ़ाने में काफी प्रभावी साबित हो रही है। हालांकि, ये अभी पूरी तरह से निर्भर करने लायक नहीं है। आइए इसकी प्रभावशीलता को अच्छे और बुरे दोनों नजरिए से देखें:
ADAS की प्रभावशीलता के सकारात्मक पहलू
- दुर्घटनाओं में कमी: अध्ययनों से पता चलता है कि ADAS फीचर्स से लैस गाड़ियों में टक्कर की संभावना कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB) सिस्टम आगे चल रहे वाहन से टक्कर को रोकने में या टक्कर की “गंभीरता” को कम करने में मदद करता है।
- सड़क पर जागरूकता बढ़ाना: ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन (BSD) जैसे फीचर्स ड्राइवर को उन गाड़ियों के बारे में सचेत करते हैं जो उनकी नजरों से ओझल हो सकती हैं। इससे ड्राइवर लेन बदलने से पहले सावधानी बरत सकता है।
- लंबी यात्राओं में थकान कम करना: अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल (ACC) जैसी सुविधाएं लंबी दूरी की यात्राओं में थकान को कम करती हैं। ये सिस्टम गाड़ी की रफ्तार को खुद ही एडजस्ट कर लेता है, जिससे ड्राइवर को लगातार पैडल दबाने की जरूरत नहीं पड़ती।
ADAS की प्रभावशीलता के नकारात्मक पहलू
- पूरी तरह से निर्भर ना होना: जैसा कि पहले बताया गया है, ADAS अभी भी विकास में है। सेंसर की गलतियां या खराब मौसम जैसी स्थितियां सिस्टम को प्रभावित कर सकती हैं। इसीलिए, सड़क पर हमेशा खुद सतर्क रहना जरूरी है।
- सीमित परिस्थितियों में काम करता है: कुछ ADAS फीचर्स सिर्फ खास परिस्थितियों में ही कारगर होते हैं। उदाहरण के लिए, फॉग या भारी बारिश में लेन मार्किंग डिटेक्शन सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाएगा।
- अभी तक पूरी तरह से सेल्फ-ड्राइविंग नहीं: ADAS का मतलब सेल्फ-ड्राइविंग कार नहीं है। यह सिर्फ ड्राइवर की सहायता करने के लिए बनाया गया है। गाड़ी चलाने की पूरी जिम्मेदारी हमेशा ड्राइवर की ही होती है।
Conclusion:
कुल मिलाकर, ADAS टेक्नॉलॉजी सड़क सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह दुर्घटनाओं को कम करने में और ड्राइविंग को आसान बनाने में मदद करती है। लेकिन, इसे ड्राइवर की जगह लेने वाली टेक्नॉलॉजी नहीं माना जाना चाहिए। सड़क पर हमेशा सतर्क रहना और अपनी गाड़ी पर पूरा ध्यान देना ही सबसे जरूरी है।
हमें उम्मीद है की आपको ये ब्लॉग में “ADAS technology” के बारे में जान्ने को बहुत कुछ नया मिला होगा।
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