What is Equity Finance in Hindi ? – इक्विटी फाइनेंस के लाभ और जोखिम | ROE | formula for ROE
What is Equity Finance in Hindi ?
इक्विटी फाइनेंस क्या है ? हिंदी में विस्तृत व्याख्या
इक्विटी फाइनेंस कंपनियों के लिए धन जुटाने का एक तरीका है, जिसमें वे निवेशकों को शेयर बेचती हैं। ये शेयर कंपनी के स्वामित्व का एक छोटा हिस्सा दर्शाते हैं। जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आप उसके आंशिक मालिक बन जाते हैं।
इक्विटी फाइनेंस का उपयोग कंपनियां क्यों करती हैं ?
- व्यापार का विस्तार करना: नई दुकानें खोलना, नए उत्पादों का विकास करना या नए बाजारों में प्रवेश करना.
- ऋण चुकाना: पहले लिए गए ऋणों का भुगतान करना.
- अनुसंधान और विकास करना: नई तकनीकों और उत्पादों का विकास करना.
- भंडार बनाना: कार्यशील पूंजी के लिए धन इकट्ठा करना.
इक्विटी फाइनेंस के लाभ और जोखिम
इक्विटी फाइनेंस के लाभ:
- उच्च संभावित रिटर्न: शेयरों के मूल्य में वृद्धि होने पर निवेशकों को अच्छा लाभ मिल सकता है.
- लाभांश: कुछ कंपनियां अपने मुनाफे का एक हिस्सा लाभांश के रूप में शेयरधारकों को देती हैं.
- स्वामित्व: आप उस कंपनी के आंशिक मालिक बन जाते हैं जिसमें आपने निवेश किया है.
इक्विटी फाइनेंस के जोखिम:
- शेयरों के मूल्य में गिरावट: कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर शेयरों के मूल्य में गिरावट हो सकती है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है.
- लाभांश की कोई गारंटी नहीं: सभी कंपनियां लाभांश का भुगतान नहीं करती हैं और लाभांश की राशि भी अनिश्चित होती है.
- जोखिम भरा निवेश: अन्य निवेश विकल्पों, जैसे कि बैंक जमा या सरकारी बॉन्ड की तुलना में, इक्विटी फाइनेंस अधिक जोखिम भरा निवेश है.
इक्विटी फाइनेंस के कुछ उदाहरण
- शेयर बाजार में सीधे शेयर खरीदना: यह इक्विटी फाइनेंस में निवेश का सबसे सीधा तरीका है.
- म्यूचुअल फंड में निवेश करना: म्यूचुअल फंड कई कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं, जो जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है.
- एंजेल इन्वेस्टिंग: किसी स्टार्टअप कंपनी में सीधे निवेश करना, जिसमें अधिक जोखिम और उच्च संभावित रिटर्न दोनों होते हैं.
निष्कर्ष
इक्विटी फाइनेंस में निवेश करने से पहले अपने जोखिम उठाने की क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आप जिस कंपनी में निवेश करने जा रहे हैं, उसका अच्छी तरह से शोध कर लें.
What is ROE ?
इक्विटी पर रिटर्न (ROE) क्या है?
इक्विटी पर रिटर्न (ROE) एक वित्तीय अनुपात है जो यह मापता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के निवेश से कितना लाभ कमा रही है. दूसरे शब्दों में, यह बताता है कि कंपनी ने शेयरधारकों के पैसे का कितनी कुशलता से उपयोग किया है.
What is the formula for ROE ?
ROE की गणना कैसे करें ?
ROE की गणना करने के लिए निम्न सूत्र का उपयोग किया जाता है:
ROE = शुद्ध लाभ / औसत शेयरधारकों की इक्विटी
- शुद्ध लाभ: कंपनी की एक विशिष्ट अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) में कर के बाद का लाभ.
- औसत शेयरधारकों की इक्विटी: कंपनी की शुद्ध संपत्ति (आस्तियां – देनदारियां) का औसत.
ROE का क्या अर्थ है ?
उच्च ROE: आम तौर पर, 20% से ऊपर का ROE अच्छा माना जाता है. इसका मतलब है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए अच्छा रिटर्न उत्पन्न कर रही है.
निम्न ROE: निचला ROE इंगित करता है कि कंपनी शेयरधारकों के पैसे का उतना प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर रही है.
ROE की सीमाएं क्या है ?
ROE सिर्फ एक ही तस्वीर पेश करता है. कंपनी के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए अन्य अनुपातों को भी देखना महत्वपूर्ण है.
ROE बाहरी कारकों से भी प्रभावित हो सकता है, जैसे कि ब्याज दरें और उद्योग की स्थिति.
उदाहरण:
मान लीजिए कंपनी X का शुद्ध लाभ ₹10 करोड़ है और औसत शेयरधारकों की इक्विटी ₹50 करोड़ है। तो, कंपनी का ROE होगा:
ROE = 10 करोड़ / 50 करोड़ = 0.2 = 20%
इस उदाहरण में, कंपनी का ROE 20% है, जो अच्छा माना जाता है.
निष्कर्ष:
ROE एक उपयोगी वित्तीय अनुपात है जो आपको यह समझने में मदद करता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए कितना लाभ कमा रही है. हालांकि, यह सिर्फ एक ही पहलू बताता है और निवेश निर्णय लेने से पहले अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना जरूरी है.
Who offers equity financing ?
इक्विटी फाइनेंसिंग कई स्रोतों से प्राप्त की जा सकती है, जिनमें शामिल हैं:
एंजेल निवेशक: ये अक्सर धनी व्यक्ति होते हैं जो व्यक्तिगत रूप से स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों में निवेश करते हैं। वे आमतौर पर प्रारंभिक चरण की कंपनियों में निवेश करते हैं और बदले में कंपनी के इक्विटी (स्वामित्व) का एक हिस्सा प्राप्त करते हैं।
उद्यम पूंजीपति (वीसी फर्म): ये पेशेवर फर्म हैं जो निवेशकों के पूल से धन जुटाती हैं और फिर उस धन का उपयोग उच्च-विकास क्षमता वाली कंपनियों में निवेश करने के लिए करती हैं। वीसी फर्म आमतौर पर बाद के चरण की कंपनियों में निवेश करती हैं और बदले में कंपनी के इक्विटी का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करती हैं।
निजी इक्विटी फर्म: ये फर्म distressed कंपनियों या परिपक्व कंपनियों में खरीदने और उनका पुनर्गठन करने के लिए धन जुटाती हैं। निजी इक्विटी फर्म आमतौर पर कंपनी का पूर्ण स्वामित्व हासिल कर लेती हैं और कुछ वर्षों के बाद इसे बेचकर लाभ कमाती हैं।
क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म: ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं जो व्यक्तियों को कंपनियों में छोटी राशि का निवेश करने की अनुमति देते हैं। क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए फंड जुटाने का एक लोकप्रिय तरीका बन गया है, खासकर प्रारंभिक चरण की कंपनियों के लिए।
इसके अलावा, कुछ सरकारी योजनाएं भी हैं जो इक्विटी फाइनेंसिंग प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में, सरकार स्टार्टअप्स के लिए कई योजनाएं चलाती है जो उन्हें इक्विटी फाइनेंसिंग प्राप्त करने में मदद करती हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इक्विटी फाइनेंसिंग प्राप्त करना हर किसी के लिए आसान नहीं है। आपको एक मजबूत व्यवसाय योजना और एक आकर्षक मूल्य प्रस्ताव की आवश्यकता होगी। आपको यह भी दिखाने में सक्षम होना चाहिए कि आपका व्यवसाय लाभदायक होने की संभावना है।
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