What is Stablecoin Cryptocurrency ? How stablecoin works ? Launch, Issue, Purpose | पूरी जानकारी -2024
Stablecoin Cryptocurrency
क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में उतार-चढ़ाव आम बात है, जिसका मतलब है कि उनके मूल्य लगातार बढ़ते और घटते रहते हैं। यह अस्थिरता निवेशकों के लिए जोखिम भरा हो सकता है और व्यापार को जटिल बना सकता है। यही कारण है कि स्टेबलकॉइन अस्तित्व में आए।
तो आइए आज हम जानते है की क्या होता है Stablecoin ? ये कब लॉन्च हुवा ? इसे कौन इशू करता है ? और इसका मक़सद क्या है ?
What is Stablecoin Cryptocurrency ?
स्टेबलकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है जिसे इसकी कीमत को स्थिर रखने के लिए डिजाइन किया गया है, ठीक उसी तरह किसी देश की करेंसी स्थिर रहती है। क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में उतार-चढ़ाव आम है, मगर स्टेबलकॉइन इससे अलग हैं।
स्टेबलकॉइन की कीमत किसी स्थिर चीज़ से जुड़ी होती है, जैसे अमेरिकी डॉलर या सोना। इसलिए, इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव बहुत कम होता है।
स्टेबलकॉइन कैसे अपनी कीमत स्थिर रखते हैं ?
स्टेबलकॉइन को स्थिर रखने के कुछ तरीके हैं, जैसे की;
- फिएट समर्थित: ये स्टेबलकॉइन किसी असली दुनिया की करेंसी से जुड़े होते हैं, जैसे एक डॉलर का स्टेबलकॉइन हमेशा एक अमेरिकी डॉलर के बराबर होना चाहिए।
- क्रिप्टो समर्थित: कुछ स्टेबलकॉइन कई अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी के मूल्यों के मिश्रण पर आधारित होते हैं, जिससे जोखिम कम होता है।
- एल्गोरिथम आधारित: ये जटिल हैं, लेकिन आसान भाषा में समझने की कोशिश करें – ये स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट नामक कोड का उपयोग करके अपनी कीमत बनाए रखते हैं।
Who launched stablecoin ?
यह कहना मुश्किल है कि किस व्यक्ति या संस्था ने सबसे पहला स्टेबलकॉइन लॉन्च किया क्योंकि यह एक विकसित होते हुए क्षेत्र है और इसके शुरुआती चरणों का दस्तावेजीकरण स्पष्ट नहीं है।
हालांकि, कुछ शुरुआती उल्लेखनीय स्टेबलकॉइन और उन्हें जारी करने वाली संस्थाओं के बारे में बताया जा सकता है:
- Tether (USDT): यह 2014 में लॉन्च हुआ था और इसे Tether Limited द्वारा जारी किया गया है। यह फिएट समर्थित स्टेबलकॉइन है, जिसका मूल्य अमेरिकी डॉलर से जुड़ा हुआ है।
- Dai (DAI): यह 2017 में लॉन्च हुआ था और यह Maker DAO नामक विकेन्द्रीकृत स्वायत्त संगठन (DAO) द्वारा प्रबंधित है। यह क्रिप्टो-समर्थित स्टेबलकॉइन है, जिसका मूल्य कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी के मूल्यों के संयुक्त मूल्य पर निर्भर करता है।
Who issues stablecoins ?
स्टेबलकॉइन को विभिन्न संस्थाएं जारी करती हैं, जिन्हें मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
1. केंद्रीकृत संस्थाएं:
ये वही संस्थाएं हैं जो पारंपरिक वित्तीय प्रणाली में काम करती हैं, जैसे कि बैंक या वित्तीय सेवा कंपनियां।
ये स्टेबलकॉइन अक्सर फिएट-समर्थित होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी कीमत किसी वास्तविक दुनिया की मुद्रा, जैसे अमेरिकी डॉलर या यूरो, से जुड़ी होती है।
Tether (USDT) सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है, जिसे Tether Limited द्वारा जारी किया गया है।
2. विकेंद्रीकृत स्वायत्त संगठन (DAO):
ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित स्वायत्त समुदाय हैं।
डीएओ द्वारा जारी किए गए स्टेबलकॉइन अक्सर क्रिप्टो-समर्थित होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी कीमत कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी के मूल्यों के संयुक्त मूल्य पर निर्भर करती है।
एक उदाहरण Maker DAO है, जो DAI स्टेबलकॉइन जारी करता है।
3. हाइब्रिड मॉडल:
कुछ स्टेबलकॉइन एक हाइब्रिड मॉडल का उपयोग करते हैं, जो केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत तत्वों को मिलाते हैं।
यह मॉडल जटिल हो सकता है, इसलिए किसी विशिष्ट स्टेबलकॉइन के बारे में अधिक जानने के लिए शोध करना महत्वपूर्ण है।
How stablecoin works ?
स्टेबलकॉइन कैसे काम करते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के हैं – फिएट-समर्थित, क्रिप्टो-समर्थित, या एल्गोरिथम-आधारित। आइए हर एक को अलग से देखें:
1. फिएट-समर्थित स्टेबलकॉइन:
ये सबसे आम प्रकार के स्टेबलकॉइन हैं। इनका मूल्य किसी वास्तविक दुनिया की मुद्रा, जैसे अमेरिकी डॉलर या यूरो, से जुड़ा होता है।
जारीकर्ता (जैसे, Tether Limited) के पास स्टेबलकॉइन की मात्रा के बराबर आरक्षित राशि होनी चाहिए, जो आमतौर पर पारंपरिक वित्तीय संस्थानों में रखी जाती है।
जब कोई व्यक्ति एक स्टेबलकॉइन खरीदता है, तो जारीकर्ता उस राशि को आरक्षित राशि से अलग कर देता है।
इसी तरह, जब कोई व्यक्ति स्टेबलकॉइन बेचता है, तो जारीकर्ता उसे आरक्षित राशि से उस राशि के बराबर पैसा वापस कर देता है।
2. क्रिप्टो-समर्थित स्टेबलकॉइन:
इनका मूल्य कई अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी के मूल्यों के संयुक्त मूल्य पर निर्भर करता है।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट नामक स्वचालित कोड का उपयोग करके इनकी कीमत स्थिर रखी जाती है। ये कॉन्ट्रैक्ट आपूर्ति और मांग को संतुलित करने का काम करते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट नए स्टेबलकॉइन बना सकता है। इससे स्टेबलकॉइन की आपूर्ति बढ़ जाती है और इसकी कीमत कम हो जाती है, इसे बाकी क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती कीमतों के अनुरूप बनाकर स्थिरता लाने की कोशिश की जाती है।
3. एल्गोरिथम-आधारित स्टेबलकॉइन:
ये सबसे जटिल प्रकार के स्टेबलकॉइन हैं। ये स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और आर्थिक सिद्धांतों के संयोजन का उपयोग करके अपनी कीमत बनाए रखते हैं।
ये कॉन्ट्रैक्ट स्वचालित रूप से स्टेबलकॉइन की आपूर्ति और मांग को नियंत्रित करते हैं, साथ ही अन्य क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री भी करते हैं।
हालांकि, एल्गोरिथम-आधारित स्टेबलकॉइन अपेक्षाकृत नए हैं और अभी भी विकास के दौर में हैं। इसलिए, इनमें अन्य प्रकार के स्टेबलकॉइन की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है।
What is the purpose of stablecoin ?
क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में उतार-चढ़ाव आम बात है, जिसका मतलब है कि उनके मूल्य लगातार बढ़ते और घटते रहते हैं। यह अस्थिरता निवेशकों के लिए जोखिम भरा हो सकती है और व्यापार को जटिल बना सकती है।
यही कारण है कि स्टेबलकॉइन अस्तित्व में आए। स्टेबलकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का एक प्रकार है जिसे मूल्य में स्थिरता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
What are the advantages of stablecoin ?
स्टेबलकॉइन पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता को कम करके कई लाभ प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न उपयोग के मामलों के लिए अधिक उपयुक्त बनाता है। आइए कुछ प्रमुख लाभों को देखें:
- स्थिर मूल्य: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, स्टेबलकॉइन पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी की तरह अत्यधिक उतार-चढ़ाव का अनुभव नहीं करते हैं। यह उन्हें दैनिक लेन-देन के लिए अधिक उपयुक्त बनाता है, क्योंकि आप यह जानकर खरीदारी कर सकते हैं कि कुछ समय बाद मूल्य में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा।
- तेज़ और सस्ता लेन-देन: पारंपरिक वित्तीय प्रणाली की तुलना में, क्रिप्टोक्यूरेंसी लेन-देन अक्सर तेज़ और सस्ते होते हैं। स्टेबलकॉइन भी इस लाभ को साझा करते हैं, जिससे उन्हें सीमा पार लेन-देन और अन्य वित्तीय कार्यों के लिए एक कुशल विकल्प बनाता है।
- हेजिंग: क्रिप्टो बाजार अत्यधिक अस्थिर है। स्टेबलकॉइन निवेशकों को अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट से बचाव करने का एक तरीका प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी निवेशक के पास बिटकॉइन है और उन्हें लगता है कि इसकी कीमत गिरने वाली है, तो वे इसे बेचकर स्टेबलकॉइन में निवेश कर सकते हैं।
- क्रिप्टो बाजार तक पहुंच: कुछ लोग क्रिप्टो बाजार में भाग लेना चाहते हैं, लेकिन अस्थिरता के जोखिम से बचना चाहते हैं। स्टेबलकॉइन उन्हें क्रिप्टो बाजारों तक पहुंच प्रदान करते हैं, जबकि मूल्य स्थिरता भी प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि वे क्रिप्टो-आधारित वित्तीय उत्पादों और सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि विकेन्द्रीकृत वित्त (DeFi) प्रोटोकॉल, बिना मूल्य में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव के जोखिम के।
- विदेशी मुद्रा लेन-देन: पारंपरिक विदेशी मुद्रा लेन-देन धीमे और महंगे हो सकते हैं। स्टेबलकॉइन तेज़ और सस्ते अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की सुविधा प्रदान कर सकते हैं, खासकर सीमा पार भुगतान के लिए।
What are the disadvantages of stablecoin ?
स्टेबलकॉइन क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में कई लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन उनके कुछ नुकसान भी हैं जिन्हें समझना जरूरी है। आइए कुछ प्रमुख कमियों को देखें:
- जारीकर्ता जोखिम: कुछ स्टेबलकॉइन केंद्रीयकृत संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं। इसका मतलब है कि स्टेबलकॉइन का मूल्य उस जारीकर्ता की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। यदि जारीकर्ता दिवालिया हो जाता है, तो स्टेबलकॉइन का मूल्य गिर सकता है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
- नियामकीय अनिश्चितता: क्रिप्टोक्यूरेंसी उद्योग अभी भी अपेक्षाकृत नया है, और नियामक अभी भी स्टेबलकॉइन को कैसे विनियमित करना चाहते हैं, इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। यह अनिश्चितता भविष्य में स्टेबलकॉइन के उपयोग को प्रभावित कर सकती है।
- तकनीकी जोखिम: सभी क्रिप्टोकरेंसी की तरह, स्टेबलकॉइन भी तकनीकी जोखिमों के अधीन हैं। उदाहरण के लिए, हैकिंग या तकनीकी गड़बड़ी स्टेबलकॉइन प्रणाली को बाधित कर सकती है और इसके मूल्य को अस्थिर कर सकती है।
- सीमित लाभ क्षमता: चूंकि स्टेबलकॉइन की कीमत स्थिर रहने के लिए डिज़ाइन की गई है, इसलिए उनमें पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी की तरह उच्च लाभ कमाने की क्षमता नहीं होती है।
- केंद्रीकृत नियंत्रण: कुछ प्रकार के स्टेबलकॉइन केंद्रीयकृत संस्थाओं द्वारा जारी और प्रबंधित किए जाते हैं। यह पारंपरिक वित्तीय प्रणाली के समान केंद्रीकृत नियंत्रण का एक तत्व लाता है, जो कुछ निवेशकों के लिए अवांछनीय हो सकता है क्योंकि वे विकेंद्रीकरण के सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं।
- अपारदर्शिता: कुछ स्टेबलकॉइन जारीकर्ता इस बारे में पारदर्शी नहीं होते हैं कि वे स्टेबलकॉइन के मूल्य को कैसे बनाए रखते हैं। यह निवेशकों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है क्योंकि उन्हें यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि जारीकर्ता वास्तव में पर्याप्त आरक्षित राशि रखता है या नहीं।
Conclusion
स्टेबलकॉइन क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक नया और महत्वपूर्ण विकास है। वे पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता को कम करके कई लाभ प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें लेन-देन, हेजिंग, और क्रिप्टो बाजार तक पहुंच के लिए अधिक उपयुक्त बनाता है।
हालाँकि, स्टेबलकॉइन अभी भी अपने विकास के शुरुआती चरण में हैं और कुछ संभावित जोखिमों को ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि जारीकर्ता जोखिम, नियामकीय अनिश्चितता, और तकनीकी जोखिम।
हमें उम्मीद है की आपको ये ब्लॉग में “Stablecoin Cryptocurrency” के बारे में जान्ने को बहुत कुछ नया मिला होगा।
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